सतना : शहर की सड़कों का विकास कभी भी संभव नहीं है क्योंकि यहां के जनप्रतिनिधि गैरकानूनी तरीके से होने वाले निर्माण को प्रोत्साहन देते हैं सतना शहर की आबादी बढ़ रही है वाहन बढ़ रहे हैं सड़के सिकुड़ रही है उसका मुख्य कारण है कि 70 साल 80 साल पुराने भवन तोड़कर नए बनाए जा रहे हैं वे भी नियमानुसार एक निश्चित दूरी जो सड़क के मध्य से छोड़ी जानी चाहिए नहीं छोड़ते हैं और पुनः नया निर्माण हो जाता है शहर विकास के लिए शासन द्वारा योजना बनाई जाती है कि जिस प्रकार पुराने भवन टूटते जाएंगे जब नए भवन बनेंगे तो सड़क के मध्य से एक निश्चित दूरी छोड़ कर के ही बनेंगे सभी सड़कें चौड़ी हो सकेगी लेकिन जनप्रतिनिधि भी इसके विरोध में रहते हैं अभी हाल ही में गांधी चौक स्थित एक गलत तरीके से बनाया गया भवन को आयुक्त नगर निगम द्वारा वैधानिक कार्यवाही करते हुए अपने अधीनस्थों से उस अवैधानिक भवन पर कार्यवाही करने का निर्देश दिया उस कार्रवाई का विरोध जनप्रतिनिधि ही कर रहे हैं तो सतना का विकास कैसे संभव है अधिकारी तो आएंगे और चले जाएंगे लेकिन जनप्रतिनिधि और सतना की जनता को तो यही रहना है अगर जनप्रतिनिधियों का यही रवैया रहेगा तो कोई भी शासकीय अधिकारी शहर विकास की बात क्यों सोचेगा इस पर सतना की जनता को विचार करना चाहिए उन्हें कैसा जनप्रतिनिधि चाहिए जो शहर का विकास करें यह शहर के विकास में बाधा उत्पन्न करें।
सतना शहर की सड़कों का विकास कभी भी संभव नहीं,क्योंकि यहां के जनप्रतिनिधि गैरकानूनी तरीके से होने वाले निर्माण को प्रोत्साहन देते हैं